अशोकजी सिंघल की स्मृति में दिया गया देश का सर्वोच्च वेद सम्मान, भारतात्मा पुरस्कार ने किया युवाओं में वेद जागृति का आह्वान

भारत मे वेद का पुनर्जागरण हमारे आत्मसम्मान, गौरव और अस्मिता को अक्षुण्ण बनाये रखने में योगदान देगा: स्वामी गोविंददेवगिरीजी

अशोकजी सिंघल की स्मृति में दिया गया देश का सर्वोच्च वेद सम्मान, भारतात्मा पुरस्कार ने किया युवाओं में वेद जागृति का आह्वान

सोमवार को दिल्ली के लोदी रोड स्थित चिन्मया मिशन में सिंघल फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा स्व. श्री अशोकजी सिंघल की स्मृति में दिए जाने वाले भारतात्मा वेद पुरस्कार का आयोजन किया गया। वेद पुरस्कारों का प्रमुख उद्देश्य वैदिक क्षेत्र में उत्कृष्टता की पहचान करना है। वैदिक क्षेत्र में यह एक सर्वोच्च राष्ट्रीय वेद पुरस्कार है, जो प्रतिवर्ष उत्तम वेद विद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक, उत्तम वेदविद्यालय और वेदार्पित जीवन पुरस्कार की चार श्रेणियों में प्रदान किया जाता हैं। जिसमें क्रमशः तीन, पांच, सात और पांच लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है। 

विजेताओं में अतुल लक्ष्मण सीतापति, कृष्ण मधुकर पलस्कर, लक्ष्मीकांत दीक्षित, आनंद रत्नाकर जोशी, गुल्लपल्ली सितारामचंद्र मूर्ति, बीके लक्ष्मीनारायण भट्ट को वेद के प्रति योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया। पुणे वेद पाठशाला एवं श्री शंकर गुरुकुल वेद पाठशाला को भी पुरस्कृत किया गया। 

परमपूज्य स्वामी गोविंददेवगिरीजी ने अपने संबोधन में वेदों के पुनर्जागरण का उल्लेख करते हुए कहा, "भारत मे वेद का पुनर्जागरण हमारे आत्मसम्मान, गौरव और अस्मिता को अक्षुण्ण बनाये रखने में योगदान देगा। हमारे नौजवनो को वेद प्रतिष्ठित बनना पड़ेगा। वेदों को केवल कर्मकांड के लिए न होकर सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन के लिए आगे बढ़ाना होगा। हमें बिना पाश्चात्य शैली को अपनाए हुए आधुनिकता अपनाना होगा।"

मुख्य अतिथि  ओम बिरला, स्पीकर, लोकसभा, ने कहा, "स्वामी गिरी जी ने सम्पूर्ण जीवन वेदों को समर्पित कर दिया

है। मैं सिंघल परिवार को वेदों के संरक्षण और प्रसार के लिए धन्यवाद देता हूँ। वैदिक शिक्षा, भारतीय संस्कृति और पुरातन संस्कृति को भुलाया नहीं जा सकता।

वेद के ज्ञान को देश औए दुनिया में पहुँचाने का काम आसान नहीं है। हज़ारों वर्षों के विदेशी आक्रंताओं के राज के बाद भी हमारी संस्कृति तठस्थ है। भावी पीढ़ी में वेद के ज्ञान का प्रस्फुटन आवश्यक है।  जब हम भारत के विश्व गुरू बनने की बात करते हैं, तो युवा ही भारत को विश्व गुरू बनाएंगे। आज हम यह सत्य देख रहे हैं कि भारत के अंदर हर समस्या का हल निकालने का काम हमारे नौजवान कर रहे है।"

सिंघल फाउंडेशन के ट्रस्टी  सलिल सिंघलजी ने कहा, "वेद दुनिया के सबसे पुराने ग्रंथ हैं और ये ग्रंथ मानव जाति की हर समस्या का समाधान प्रदान करते हैं, साथ ही लोगों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह बहुत खुशी की बात है कि दो साल के अंतराल के बाद, अब यह भारतात्मा वेद पुरस्कार पूज्य संत श्री गोविंददेव गिरिजी की उपस्थिति में प्रदान किया गया।"

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि  बिबेक डेब्रॉय, अध्यक्ष, प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद, ने अपने संबोधन में कहा, "नौजवानों में वेद की शिक्षा अति महत्वपूर्ण है। कुछ युवाओं की आधुनिक चेतना में नास्तिकता एवं निरीश्वरवाद ग्रसित है। लेकिन बहुत से युवाओं में वेद की इस जागृति को देखकर अच्छा लगता है। भावी पीढ़ियों के लिए वेद को संरक्षित करने की आवश्यकता है और इस पहल में सिंघल फाउंडेशन बहुत सराहनीय काम कर रहा है।"

भारतात्मा वेद पुरस्कार की स्थापना 2017 में  हुई। 2017 में इस पुरस्कार की प्रथम श्रृंखला के पुरस्कार प्रदान किए गए थे। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष सितम्बर/अक्टूम्बर माह में प्रदान किए जाते हैं।

वर्ष-2020 और वर्ष-2021 में पुरस्कार की तृतीय एवं चतुर्थ श्रृंखला के लिए देशभर से आवेदन आमंत्रित किए गए थे, परन्तु कोविडकाल की वजह से विगत दो वर्षों में यह पुरस्कार प्रदान नहीं किए जा सके। अब यह भारतात्मा वेद पुरस्कार 18 अप्रैल 2022 को सांय 5:30 बजे पूज्य संत श्री गोविन्ददेव गिरीजी के सान्निध्य में चिन्मय मिशन हॉल, नई दिल्ली में प्रदान किया गया। 

सिंघल फाउंडेशन के नियासी श्री संजय सिंघल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य अतिथि  ओम बिरला, विशिष्ट अतिथि  बिबेक डेब्रॉय, स्वामी गिरी जी एवं सभी सम्मानित विजेताओं को आभार प्रकट किया। DDS