केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल 'भारतात्मा वेद पुरस्कार' कार्यक्रम में रहे उपस्थित, बोले- विश्व शांति के लिए वेदज्ञान आवश्यक
नई दिल्ली के लोधी रोड स्थित चिन्मय मिशन में अशोकजी सिंघल की स्मृति में वेदविद्वानों को 'भारतात्मा वेद पुरस्कार' प्रदान किये गए। इस पुरस्कारों का मुख्य उद्देश्य वैदिक क्षेत्र में उत्कृष्टता की पहचान करना है।
यह पुरस्कार वैदिक क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय वेद पुरस्कार है जो उत्तम वेद विद्यार्थी, आदर्श वेदध्यापक, उत्तम वेद विद्यालय और वेदार्पित जीवन सम्मान की चार श्रेणियों में प्रतिवर्ष दिया जाता है। जिसमें क्रमश: तीन, पांच,सात और पांच लाख रुपये दिए जाते हैं।
पुरस्कृत विद्वान एवं विद्यालय निम्न प्रकार से हैं:
1. भारतात्मा अशोक सिंघल वेद पुरस्कार- वेदार्पित जीवन सम्मान
मद्दूलपल्ली सूर्यनारायण घनपाठी (तिरुपति, आन्ध्रप्रदेश)
2. आदर्श वेदाध्यापक
श्री ज. कुमारगुरु घनपाठी(तमिलनाडु)
3. आदर्श वेदविद्यार्थी
श्री गजानन चंद्रकांत कुलकर्णी (अहमदनगर, महाराष्ट्र)
4. उत्तम वेदविद्यालय)
श्री पट्टाभीराम शास्त्री वेद विमांशा अनुसन्धान केंद्र, वाराणसी)
मुख्य अतिथि श्री पीयूष गोयल, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, भारत सरकार, ने कहा, 'आज 21वीं सदी में भारत जब विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है इसमें वैदिक ज्ञान का अमूल्य योगदान होगा । सनातन वैदिक ज्ञान परम्परा के बिना हम भारत के नवनिर्माण की परिकल्पना नहीं कर सकते। आज विश्व के अनेक देशों में वैदिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार बहुत ही तीव्र गति से हो रहा है। आज विश्व के समस्त लोग हमारी वैदिक संस्कृति की और आकर्षित हो रहे है। हमारी सनातन वैदिक संस्कृति आज विश्व कल्याण के लिए अति आवश्यक है। युवाओं में इतनी बड़ी संख्या में वेदों के प्रति रुझान को देखकर मन आह्लादित है। ये हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व का परिणाम है। हम आज भारत का अमृतकाल देख रहे हैं जो आने वाले समय में बेहतर परिणाम देंगे और पूरे विश्व को शांति के पथ पर ले जाएगा।'
स्वामी गोविंददेवगिरिजी ने अपने सम्बोधन में वेदों के पुनर्जागरण का उल्लेख करते हुए कहा, 'हमें पश्चिमीकरण को अपनाए बिना आधुनिकीकरण को अपनाना होगा। हिंदुस्तान में वेदों का पुनर्जागरण हमारे स्वाभिमान, गौरव और पहचान को अक्षुण्ण रखने में योगदान देगा। हमारे युवाओं को वैदिक विद्वान बनना होगा। वेद न केवल कर्मकांड के लिए है, अपितु हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा को उदात्त स्वरूप प्रदान करने के लिए हैं।'
वेदविद्यार्थी श्रेणी ।के विजेता गजानन चंद्रकांत कुलकर्णी ने कहा, 'ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे भारतात्मा पुरस्कार प्राप्त हुआ। भारत में वैदिक ज्ञान, भारत के पुनर्जागरण, भारतमाता के सतत् स्वाभिमान, ज्ञानपरम्परा और प्रसिद्धि को अनवरत रखने में सहायक सिद्ध होगा। वर्त्तमान में अधिकाधिक युवकों को वैदिकज्ञान प्राप्त करना चाहिए। यह वैदिकज्ञान भारतीय सांस्कूतिक विरासत में आस्था को सुदृढ़ता प्रदान करेगा।'
सिंघल फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री सलिल सिंघलजी ने कहा, 'वेद विश्व के प्राचीनतम् ग्रन्थ हैं और ये ग्रन्थ मानव जाति की प्रत्येक समस्या का समाधान प्रदान करते हैं, साथ ही आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि यह भारतात्मा वेद पुरस्कार पूज्य संत श्री गोविंददेव गिरिजी के पावन सान्निध्य में प्रदान किये गये।'
'वहीं फाउंडेशन के सह-न्यासी संजय सिंघल ने कहा कि स्वर्गीय श्री अशोकजी सिंघल की वेदों में गहरी रुचि के कारण ही हमारे फाउंडेशन को इस् पवित्रकार्य हेतु प्रोत्साहन मिला है'