राष्ट्रपति कर्नाटक पहुंचीं, मैसूरु दशहरा महोत्सव का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज मैसूरु के चामुंडी हिल्स में मैसूरु दशहरा महोत्सव का उद्घाटन किया।
सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने मैसूरु दशहरा के शुभ अवसर पर कर्नाटक के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वह देवी चामुंडेश्वरी से प्रार्थना करती हैं कि उनका आशीर्वाद हमेशा सभी पर बना रहे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के संतों के साथ-साथ यहां के लोगों ने सदियों से भारतीय समाज को त्योहारों के माध्यम से जोड़े रखा है। रामायण, महाभारत, पुराणों, इतिहास और लोक-कथाओं के दिव्य एवं मानवीय चरित्रों पर आधारित त्योहार पूरे देश में मनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन त्योहारों में विविधता के साथ-साथ एकरूपता भी है। उन्होंने कहा कि मैसूरु दशहरा भारतीय संस्कृति के लिए एक गर्व का त्योहार भी है।
कर्नाटक की विकास यात्रा के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान, कर्नाटक ने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 53 प्रतिशत आकर्षित किया। बैंगलोर को भारत का शीर्ष स्टार्ट-अप-हब माना जाता है। नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य - भारत सूचकांक 2020-21 के अनुसार, नवाचार सूचकांक में कर्नाटक देश में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने प्राथमिक शिक्षा में शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसने 'प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना' के तहत शत-प्रतिशत कनेक्टिविटी का लक्ष्य भी हासिल कर लिया है। उन्होंने ऐसी कई उपलब्धियों से भारत को गौरवान्वित करने के लिए कर्नाटक सरकार और राज्य के लोगों की सराहना की।
बाद में, राष्ट्रपति ने हुबली-धारवाड़ नगर निगम द्वारा हुबली में आयोजित एक सम्मान समारोह ‘पौरा सम्मान’ में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने इस शहर के सभी निवासियों के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्हें सम्मानित करके उन्होंने न केवल भारत के राष्ट्रपति बल्कि भारत की सभी बेटियों को सम्मानित किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हुबली-धारवाड़ के जुड़वां शहर न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे भारत के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा हैं और भारत के सांस्कृतिक मानचित्र पर उनकी उपस्थिति उल्लेखनीय रही है। उन्होंने कहा कि उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कानून, विज्ञान, कला और प्रौद्योगिकी के कई प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र हैं। शायद इसी वजह से इस क्षेत्र को 'विद्या-काशी' कहा जाता है।
अगले कार्यक्रम में, राष्ट्रपति ने धारवाड़ में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, धारवाड़ के नए परिसर का उद्घाटन किया।
सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे लिए यह गर्व की बात है कि आईआईआईटी, धारवाड़ शिक्षा के माध्यम से हमारे देश का भविष्य तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ की श्रेणी में है। उन्होंने भारत सरकार, कर्नाटक सरकार और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईआईटी धारवाड़ सूत्र वाक्य "ज्ञान विकास" है जिसका अर्थ है कि ज्ञान के माध्यम से विकास और प्रगति हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हमारे युवा, जो इस संसाधन का एक अभिन्न हिस्सा हैं, नई प्रणाली की तकनीकी शिक्षा में कुशल हों। इस तथ्य को रेखांकित हुए कि आईआईआईटी, धारवाड़ के पाठ्यक्रम में कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार, डेटा विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषय शामिल हैं, उन्होंने कहा कि इन सभी विषयों में एक नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है। हमारा देश भी डिजिटल इंडिया मिशन के माध्यम से एक डिजिटल क्रांति से गुजर रहा है। लेकिन इस क्रांति का पूरा फायदा उठाने के लिए हमें अपने शोध एवं नवाचार को और भी ज्यादा बढ़ावा देना होगा। आज की दुनिया मेटावर्स की है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑगमेंटेड रियलिटी के बल पर हम कई उपयोगी बदलाव कर सकते हैं। दुनिया अब चौथी औद्योगिक क्रांति की ओर बढ़ रही है जिसमें आय के स्तर को बढ़ाने और विश्व समुदाय के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की क्षमता है। इसलिए, हमें इस क्रांति में योगदान देकर वैश्विक मंच पर भारत को अग्रणी स्थान दिलाने करने के लिए अथक प्रयास करना होगा।