केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की
2023 की पहली छमाही के रोडमैप के अनुसार नेशनल एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) सुनिश्चित करने के प्रयास चल रहे हैं, 2022 में मॉक रन की भी योजना बनाई जा रही है सरकार गुणवत्तापूर्ण मेडिकल एजुकेशन, पारदर्शी परीक्षा के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे और अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है: श्रमनसुख मंडाविया
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने आज राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में मेडिकल एजुकेशन के अहम मुद्दों पर चर्चा की गई।
बैठक में एनएमसी के अधिकारियों ने बताया कि यह सुनिश्चित करने के कोशिश चल रही है कि रोडमैप के अनुसार 2023 की पहली छमाही में नेशनल एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) आयोजित किया जाए। यह टेस्ट मेडिकल छात्रों के बीच परीक्षा की घबराहट को दूर करने के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही एक मॉक रन की भी योजना बनाई जा रही है जिसे 2022 में आयोजित की जाएगी। यह भी चर्चा की गई कि एनईएक्स्टी (चरण 1 और 2) के परिणामों का इस्तेमाल तब किया जाएगा-
(i) क्वालिफाइंग फाइनल एम.बी.बी.एस. परीक्षा के लिए।
(ii) भारत में आधुनिक चिकित्सा पद्धति का पैक्ट्रिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए।
(iii) ब्रॉड स्पेशिएलिटीज में पीजी सीटों के योग्यता-आधारित आवंटन के लिए।
समीक्षा बैठक के दौरान एनईएक्सटी को विश्व स्तरीय परीक्षा बनाने के तरीकों पर भी चर्चा और विचार-विमर्श किया गया। एनईएक्सटी परीक्षा का महत्व इसलिए महत्वपूर्ण है कि यह भारत या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रशिक्षित के लिए एक समान होगा और इसलिए यह विदेशी चिकित्सा स्नातकों (एफएमजीएस)/ से समस्या का समाधान आपसी सामांजस्य से करेगा। बैठक को संबोधित करते हुए श्री मनसुख मंडाविया ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार गुणवत्तापूर्ण मेडिकल एजुकेशन और पारदर्शी परीक्षा के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे और अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर लगातार प्रयास कर रही है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के बारे में:
एनएमसी की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई है जिसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के रूप में जाना जाता है, जो 25.9.2020 को लागू हुआ था। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण और सस्ती मेडिकल एजुकेशन तक पहुंच में सुधार करना है। साथ ही देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त संख्या में और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों की उपस्थिति सुनिश्चित करना है जिससे भारत के सभी हिस्सो में एक समान और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधा आम लोगों को मिल सके।
एनएमसी के व्यापक कार्य क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा में उच्च गुणवत्ता और उच्च मानकों को बनाए रखने और आवश्यक नियम बनाने के लिए नीतियां बनाना शामिल है। इसके अलावा चिकित्सा संस्थानों, चिकित्सा अनुसंधानों और चिकित्सा पेशेवरों को विनियमित करने के लिए नीतियां निर्धारित करना, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के लिए मानव संसाधन सहित स्वास्थ्य देखभाल में आवश्यकताओं का आकलन करना और ऐसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक रोड मैप विकसित करना भी शामिल है। इतना ही नहीं स्वायत्त बोर्डों और राज्य चिकित्सा परिषदों के उचित कामकाज के लिए आवश्यक नियम बनाकर दिशा-निर्देशों को बढ़ावा देना, समन्वय करना और नीतियां बनाने का काम भी एनएमसी करती है। यह स्वायत्त बोर्डों के बीच समन्वय भी सुनिश्चित करने का काम करती है।
एनएमसी स्वायत्त बोर्डों के निर्णयों के संबंध में अपीलीय क्षेत्राधिकार के रूप में भी कार्य करता है और चिकित्सा पेशे में पेशेवर नैतिकता का पालन सुनिश्चित करने के लिए नीतियां और कोड निर्धारित करता है और चिकित्सकों द्वारा देखभाल के दौरान नैतिक आचरण को बढ़ावा देता है। PIB