मध्यप्रदेश के इतिहास में व्यापम घोटाले के बाद यह अबतक का शायद दूसरा सबड़े बड़ा भ्रष्टाचार होगा- दुर्गेश पाठक

मध्यप्रदेश के इतिहास में व्यापम घोटाले के बाद यह अबतक का शायद दूसरा सबड़े बड़ा भ्रष्टाचार होगा- दुर्गेश पाठक

‘आप’ विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने बच्चियों और महिलाओं को मिलने वाले राशन में 2.5 हजार करोड़ का घोटाला किया है। मध्यप्रदेश के इतिहास में व्यापम घोटाले के बाद यह अबतक का दूसरा सबड़े बड़ा भ्रष्टाचार है। देश के सबसे कुपोषित राज्यों में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर आता है, इसलिए सरकार ने बच्चियों और महिलाओं को राशन बांटने की योजना बनाई थी। मध्यप्रदेश सरकार का कहना है कि 36.08 लाख बच्चियों को राशन बांटा गया है जबकि स्कूल कहता है कि हमारे यहां 9 हजार बच्चे ही पढ़ते हैं। सेंटर का सर्वे हुआ तो उन्होंने कहा कि 49 आंगड़बाड़ियों में लगभग 29 हजार महिलाओं को राशन बांटा गया है जबकि आंगड़बाड़ियों का कहना है कि वहां सिर्फ 3 महिलाएं ही रेजिस्टर हैं। सरकार के अपने ऑडिटर की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। सभी आंकड़े फर्जी, राशन बांटवे वाली कंपनियां फर्जी और जिन वाहनों के माध्यम से राशन बांटा गया वह भी फर्जी निकले हैं। यह पूरा विभाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के अंतर्गत आता है, संभव ही नहीं उन्हें घोटाले की जानकारी ना हो। पीएम मोदी जी की सरकार में यदि थोड़ी भी मानवता बची है तो शिवराज सिंह चौहान जी को तत्काल मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और इसमें शामिल सभी दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राजेंद्र नगर के विधायक दुर्गेश पाठक ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। मध्यप्रदेश के इतिहास में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में व्यापम घोटाले के बाद शायद यह दूसरा सबसे बड़ा घोटाला होगा। यह घोटाला इतना ब्लैक एंड व्हाइट है कि इसमें बहुत ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। यदि आपके पास इसकी थोड़ी जानकारी भी है तो उसी से समझ जाएंगे कि कितने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है।

उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों और गर्भवती महिलाओं के राशन से संबंधित है। उनकी बेहतर सेहत के लिए पौष्टिक राशन दिया जाता है जिससे वह कुपोषण जैसी परेशानी का शिकार ना हों। आपको यह भी बता दूं कि मध्यप्रदेश देश के सबसे कुपोषित राज्यों में तीसरे स्थान पर आता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक योजना बनाई कि महिलाओं और बच्चियों को अच्छा राशन बांटा जाएगा जो कि एक बहुत ही अच्छा कदम है। लेकिन इस पूरे सिस्टम में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है।

आंकड़ों के माध्यम से घोटाले की जानकारी देते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि इन्होंने बताया कि हमने 36.08 लाख बच्चियों को राशन बांटा गया है। जबकि स्कूल कहता है कि हमारे यहां 9 हजार बच्चे ही पढ़ते हैं। इन आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर है कि साफ पता चलता है कि पूरे मामले में कितनी बड़ी गड़बड़ी है। सेंटर का सर्वे हुआ तो उन्होंने कहा कि 49 आंगड़बाड़ियों की लगभग 29 हजार महिलाओं को राशन बांटा है। जबकि आंगड़बाड़ियों का कहना है कि हमारे यहां सिर्फ 3 महिलाएं ही रेजिस्टर हैं। प्रश्न यह उठता है कि वह 29 हजार महिलाएं कौन सी हैं जिन्हें राशन बांटा गया?

दिलचस्पी की बात यह है कि जब इनके ऑडिटर ने इनसे पूछा कि इतना सारा राशन स्कूलों और आंगनबाड़ियों में किस माध्यम से पहुंचाया गया तो उन्हें कई ट्रकों की जानकारी दी गई। जब ऑडिटर ने आरटीओ के दफ्तर से सभी गाड़ियों के नंबर निकाला तो पता चला कि इन नंबरों पर तो ई-रिक्शा, मोटरसाइकिल, स्कूटी, साइकिल और पानी के टैंकर रेजिस्टर हैं। एक भी ट्रक उन नंबरों से मैच नहीं किया। मान लीजिए कि उन्होंने कहा कि एक ट्रक पर हजार किलो राशन भेजा गया लेकिन यहां तो ट्रक की जगह मोटरसाइकिल निकली। जाहिर है मोटरसाइकिल पर इतना राशन भेजना तो संभव नहीं है। मुश्किल से 20 किलो का कट्टा ही उसपर भेजा जा सकता है वह भी कुछ ही दूरी के लिए।

इसका मतलब है कि सभी आंकड़े फर्जी हैं। यहां तक कि जो कंपनियां राशन तैयार कर रही थीं, वह भी फर्जी हैं क्योंकि उनमें इतनी क्षमता ही नहीं है कि इतना राशन बनाया जा सके। मान लीजिए कि वह तैयार करने में सफल रहे तो उसके अनुसार बिजली का बिल बहुत ज्यादा होना चाहिए लेकिन वह यहां भी जवाब देने में फेल रहे। यह पूरा प्रॉजेक्ट लगभग 2.5 हजार करोड़ रुपयों का था जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। दुर्भाग्य की बात यह है कि यह पूरा विभाग अपने आप को मामा कहने वाले शिवराज सिंह चौहान जी के अंतर्गत आता है। मामले को किसी मंत्री या अधिकारी पर डालने का सवाल ही नहीं उठता है क्योंकि इसकी पूरी जिम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान जी की थी। उनके ही ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट के आधार पर इस भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।

जब इस भ्रष्टाचार का मामला उठा और जवाब मांगा गया तो मुख्यमंत्री जी और उनके अधिकारियों ने कहा कि दस्तावेज बनाने में क्लर्क से गलती हो गई होगी। 9 हजार रहा होगा और उसने गलती से 36 लाख लिख दिया होगा। मुझे लगता है कि अगर आप यह सोचते हैं कि हिंदुस्तान की जनता इतने बड़े घोटाले को नहीं समझेंगे तो आप बिल्कुल गलत हैं। यह मध्यप्रदेश का चारा घोटाला है। चारा घोटाला तो फिर भी जानवरों के चारे में किया गया था लेकिन यहां तो गरीब बच्चियों और महिलाओं के राशन में घोटाला किया गया है।

यदि पीएम मोदी जी की सरकार में थोड़ी भी मानवता बची है तो नैतिक और आधिकारिक रूप से शिवराज सिंह चौहान जी को तत्काल मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए। यह उन्हीं के विभाग का भ्रष्टाचार है और ऐसा हो ही नहीं सकता है कि आपके विभाग में इतना बड़ा भ्रष्टाटाचार हो रहा है और आपको पता ना चले। वह कहते हैं कि हम पारदर्शी सरकार चलाते हैं तो फिर उनकी निगरानी में इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और इसमें शामिल सभी दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।