सचिन पायलट पार्टी में हैं तो मिलकर काम करेंगे - अशोक गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, 'अगर वे (सचिन पायलट) पार्टी में हैं तो साथ मिलकर काम क्यों नहीं करेंगे। दरअसल, गहलोत दिल्ली में हैं और मीडिया ने उनसे पूछा था कि क्या उन्हें भरोसा है कि पायलट उनके साथ मिलकर काम करेंगे।
जब उनसे काउंटर सवाल किया गया कि उनकी (पायलट) की क्या भूमिका होगी, इस पर गहलोत ने कहा कि भूमिका हाईकमान की होती है। मेरे लिए पद मायने नहीं रखता है। मैं तीन बार मुख्यमंत्री रहा, मैंने काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
आज मेरी ड्यूटी है, मैं उस दिशा में काम करूं कि सरकार कैसे रिपीट हो, हाईकमान भी यही चाहता है। मैंने जनता के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाई हैं, मुझे लगता है कि जनता इस बार सरकार रिपीट करेगी।
गहलोत ने मीडिया से कहा, 'मैं खुद कई बार कह चुका हूं कि अब मेरे लिए पद मायने नहीं रखता है। मैं तीन बार सीएम बना हूं, केंद्रीय मंत्री बना हूं। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी ने मुझ पर इतना विश्वास किया है। तीन बार सीएम बनना मायने रखता है। तीन बार केंद्रीय मंत्री बनना मायने रखता है।
आज मेरी ड्यूटी बनती है कि जो हाईकमान चाहे वह मैं करूं, पार्टी को जितवाने के लिए काम करूं, वो मैं कर रहा हूं। मैंने योजनाएं बनाने में और लागू करने में कोई कमी नहीं रखी। हर वर्ग का ध्यान रखा है। अब राजस्थान में चाहे मोदी आएं या अमित शाह आएं, जनता हकीकत जानती है।'
इससे पहले, दिल्ली में सोमवार देर रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर चार घंटे चली बैठक के बाद राजस्थान कांग्रेस के झगड़े को सुलझाने पर सहमति बन गई। खड़गे के घर सचिन पायलट और अशोक गहलोत को साथ बैठाकर सियासी गिले-शिकवे दूर करवाए गए। दोनों से अलग-अलग भी बैठक हुई। बाद में संगठन महासचिव केसी वेणुगापोल ने दोनों नेताओं को मीडिया के सामने लाकर एकजुटता के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
हालांकि कल के सियासी सीजफायर के बावजूद अब भी बहुत से सवाल जस के तस हैं। पायलट की तीन मांगों से लेकर पायलट की सियासी भूमिका तक पर कोई फॉर्मूला सार्वजनिक नहीं किया गया है। मीटिंग के बाद वेणुगोपाल ने कहा- दोनों नेता एक साथ मिलकर एकजुटता के साथ इस साल होने वाला राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। दोनों ने फैसला हाईकमान पर छोड़ दिया है। राजस्थान में कांग्रेस मजबूत है।
मैराथन बैठक में पायलट मुद्दे के समाधान का क्या फॉर्मूला तय किया गया, इसे उजागर नहीं किया गया। पायलट का अल्टीमेटम 30 मई को खत्म हो रहा था, ऐसे में माना जा रहा है कि हाईकमान ने इस मुद्दे पर निर्णायक हल जरूर निकाला होगा और पायलट को ठोस आश्वासन जरूर मिला होगा।