नये संसद भवन का नाम डा. अम्बेडकर के नाम पर करने की मांग को लेकर 28 नवंबर को होगी रैली
अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. उदित राज (पूर्व सांसद) ने मांग की है कि नए संसद भवन का नाम डॉ बी. आर. अंबेडकर के नाम पर रखा जाए। न्यू विस्टा प्रोजेक्ट 2020 में लॉन्च किया गया था और नई पार्लियामेंट बिल्डिंग बन रही है, जो पूरी होने वाली है। अनुसूचित जाति/जाति परिसंघ इस मांग को उठाने वाला पहला संगठन है। हम इसी मांग को लेकर 28 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करने जा रहे हैं। डॉ अंबेडकर हमारे मसीहा हैं।
10 दिसंबर 2020 को जब कोविड चरम पर था, उस समय इस मांग को लेकर दिल्ली में एक विशाल प्रदर्शन आयोजित किया गया था। जब लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे और लॉक डाउन सख्ती से लगाया गया था, उस समय हमारे साथ बाबा साहब के सैकड़ों अनुयायियों ने अपने जीवन को जोखिम में डालकर इस मांग को लेकर प्रदर्शन किया था क्योंकि यह मांग हमारे मुक्तिदाता- बाबा साहेब डॉ बी आर अम्बेडकर की गरिमा से जुड़ा है।
हम तेलंगाना की टीआरएस सरकार की सराहना करते हैं कि उसने नए संसद भवन का नाम डॉ बी आर अंबेडकर के नाम पर रखने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने के लिए राज्य विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया। तेलंगाना विधानसभा के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से पारित किया लेकिन भाजपा अनुपस्थित रही। विपक्ष के नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने सदन में मांग उठाई और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के टी रामाराव ने प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव तर्क और आधार के साथ था क्योंकि डॉ बी आर अम्बेडकर ही हैं जो इसके लिए सबसे योग्य हैं, जिन्होंने संविधान को जन्म दिया और सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री धन्यवाद के पात्र हैं, जिनके बिना यह संभव नहीं हो सकता था।
डॉ उदित राज ने कहा कि तेलंगाना एससी/एसटी परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष महेश्वर राज जी ने तेलंगाना राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए अथक संघर्ष करके यह काम कराया। उन्होंने संसद के सभी सदस्यों से इस संबंध में अपील की है लेकिन अभी तक किसी से भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। 15 अक्टूबर 2022 तक मोदी सरकार को हमारी मांगों को मानने के लिए एक समय सीमा दी थी, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, जिसके बाद हम 28 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करने जा रहे हैं। देश भर से हजारों अम्बेडकरवादी, बौद्ध और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले संगठन इस आह्वान में शामिल हो रहे हैं और वे रैली में भाग लेंगे।
इसके अलावा, हम सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संस्थानों के निजीकरण को रोकने, सरकारी नौकरियों में बैकलॉग भरने, निजी क्षेत्र में आरक्षण, उच्च न्यायपालिका में आरक्षण जैसे मुद्दों को उठाते रहे हैं। डॉ उदित राज ने आगे कहा कि मोदी सरकार नाम बदलने और स्थानों और स्मारकों के नाम बदलने के लिए जानी जाती है। इसने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग राज, फैजाबाद का नाम अयोध्या, अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ और मुगलसराय का नाम दीन दयाल उपाध्याय कर दिया है, इसलिए इस नए संसद भवन का नाम डॉ बी आर अंबेडकर के नाम पर रखने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।